जब नीन्द ही नसीब में ना हो, फिर सिरहाना चाहे जिस तरफ हो। हजारों सिलवटें हो जिस ख़्वाब में, उसका पूरा हो जाना किस तरह हो। लिपट कर चढ़ तो सकती है बेल, सहारा ही नही तो सहर किस तरह हो। जो वर्षों से ख़्वाब सँजोए बैठा हो, उस जीवन से किनारा किस तरह हो। मुमकिन है मैं भूल जाऊँ सब कुछ, मगर वो ख़्वाब हमारा किस तरह हो! ... #yqmanjil #yqmunasib #yqhindi #yqkis_tarah_ho Thanks दीप शिखा for poking :)