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मुझ पर रहम करना,हे मेरे ईश्वर में, तेरी मर्जी से ह

मुझ पर रहम करना,हे मेरे ईश्वर
में, तेरी मर्जी से ही जहाँ में आया
हूँ, मेरे कर्मो पर मेरा वश तो नही
तू, मुझे राह दिखाते रहना, है
दुनियाँ, बाजार कर्मो का , ना
जाने कितने गुनहा जाने- अंजाने
में हर रोज मुझसे हो जाते है
तू मेरे कर्मो के गुनहा को माफ
 करना,निभा सकूँ मे फर्ज 
इंसानियत का , तू मुझे नेक
दिल इंसान बना देना, हर
मोह माया से बचाना मुझे
तू मुझे इंसानियत का पाठ
सिखा देना, मुझ पर रहम करना
हे, मेरे ईश्वर में तेरी , मर्जी से
ही, जहाँ में आया हुँ, 
फ़ितरत बदल सकती है, कभी
भी मेरी,जमाने को देखकर तू
मेरी फितरत पर नजर रखना 
संभाले रखना मुझको,तू मेरे
कर्मो पर नजर रखना, नेमत
जो होगी तेरी तो ही, बच सकूँगा
में, नहीं तो जमाने के मीठे दरिया
से दिखने वाले,दलदल में डूब
मरूँगा में, मुझ पर रहम करना , हे
मेरे ईश्वर, में तेरी मर्जी से ही जहाँ
में आया हुँ.

©पथिक
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