तुम्हारे बिना माँ एक और साल गुजर गया, भागती दौड़ती जिंदगी का वक़्त फिर थम गया, अतीत की गलियों मे यादों का मजमा सा लग गया, तेरे आंगन का सूनापन आज अपनी कहानी दोहरा गया, बेरहम सा था जो वक्त आज फिर रुला गया, आखरी बार तुझे छूने का हर वक्त रूठ गया, बरामदे से लेकर आंगन तक सिर्फ तेरा एहसास रह गया, चादरों की सिलवटों मे तेरा अक्स सिमट गया, अरगनी पर झूलती तेरे आँचल का रूप कहीं खो गया , तेरी डेहरी पर अकेले बैठे मुझे एक अर्सा सा हो गया, तुम्हारे बिना माँ एक और साल गुजर गया एक और साल #nojoto #nojotohindi #poetry #books #kaviashala #quotes #maa #thougths