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इज़हार की नज़रे हर रोज़ मिलती थी उनसे, और हर रोज नज

इज़हार की नज़रे हर रोज़ मिलती थी उनसे, और हर रोज नजरों से ही बातें हो जाया करती थी।

बातें क्या करता उनसे , जबकि हर रोज उनकी मुस्कुराहट हर बातें बयां कर जाती थी।

शायद से कैद हो गया था उनके आंखों के इश्क में।

इसलिए तो जब बारी आयी कुछ कहने का तो सामने से वो इजहार कर बैठे।

अपने इश्क के कैद में वो हमें गुलाम कर बैठे।

©Avnish Singh
  #nojoto #Dil__ki__Aawaz #dil_e_dastan #shyari 

#dilkibaat  sanjeev जाकिर हुसैन Kashif Hussain Ambika Jha lekhak sandesh
इज़हार की नज़रे हर रोज़ मिलती थी उनसे, और हर रोज नजरों से ही बातें हो जाया करती थी।

बातें क्या करता उनसे , जबकि हर रोज उनकी मुस्कुराहट हर बातें बयां कर जाती थी।

शायद से कैद हो गया था उनके आंखों के इश्क में।

इसलिए तो जब बारी आयी कुछ कहने का तो सामने से वो इजहार कर बैठे।

अपने इश्क के कैद में वो हमें गुलाम कर बैठे।

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Avnish Singh

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