ख़ुशी की ख़बर में गम कौन ढूंढेगा जब झूठा रोशन है सब तो सच्चा अँधेरा कौन ढूंढेगा दिखा के बड़े बड़े ख़्वाब छोटे भी पुरे ना कर सके बर्बादी के दौर में आबाद करने वाला रहबर कौन ढूंढ़ेगा नफ़रत बढ़ा के जब होते है काबिज़ उरूज़ पर तो मोहब्बत बढ़ा कर अपने लिये गर्त कौन ढूंढ़ेगा बेटियों की अश्मत से खिलवाड़ होने लगा है अब मेरी महफ़ूज़ है बस, दूसरो की लिये नियत पाक कौन ढूंढेगा बच्चियों को भी नही बक्शा जा रहा है इन मासूमो के लिये इंसाफ कौन ढूंढेगा सब को दिख जाता है कौन है गुन्हेगार मगर सज़ा दिलाने वाला गवाह कौन ढूंढेगा हालात क्या बयां करूँ मै फिज़ा-ए- ख़ौफ़ की इस ख़ौफ़ में हिम्मत-ए-मर्दा कौन ढूंढेगा गिर रही है इंसानो की लाशें नारों के शोर में शैतानो के बीच बचाने वाले नारे कौन ढूंढेगा वो जो बैठा है गुरुर में गर्दन उठा के आसमाँ की तरफ़ उससे पूछो जरा बाशिंदों के लिये अमन कौन ढूंढेगा अली राशिद हसरत