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कभी टूटती हूँ, कभी तोड़ी जाती हूँ , इंसान हूँ में,

कभी टूटती हूँ, कभी तोड़ी जाती हूँ ,
इंसान हूँ में, जज़्बात रखती हूं।
कभी बोलती हूँ, कभी मजबूर की जाती हूँ,
औरत हूँ में, दर्द-ए-बयां कर रही हूँ।।
पता को भी न पता है,
की हम लापता है।
वक़्त को भी न पता होगा,
हम मुस्तकबिल की बातें क्यों बयां कर रहे हैं।
जिंदगी अगर इसी का नाम है,
खुशनसीब है वह जिन्हें यह पैगाम मिला है।।
 #life 
#jindgi_ki_kitab
कभी टूटती हूँ, कभी तोड़ी जाती हूँ ,
इंसान हूँ में, जज़्बात रखती हूं।
कभी बोलती हूँ, कभी मजबूर की जाती हूँ,
औरत हूँ में, दर्द-ए-बयां कर रही हूँ।।
पता को भी न पता है,
की हम लापता है।
वक़्त को भी न पता होगा,
हम मुस्तकबिल की बातें क्यों बयां कर रहे हैं।
जिंदगी अगर इसी का नाम है,
खुशनसीब है वह जिन्हें यह पैगाम मिला है।।
 #life 
#jindgi_ki_kitab