क़फ़स में हूँ मुझे आज़ादियाँ आवाज़ देती हैं मेरे पर खोल दो पुरवइयाँ आवाज़ देती हैं तुम्हारी याद से कब तक मैं अपने दिल को बहलाऊँ चले आओ मेरी तन्हाईयाँ आवाज़ देती हैं। ©gauhar pratapgarhi क़फ़स में हूँ मुझे आज़ादियाँ आवाज़ देती हैं मेरे पर खोल दो पुरवइयाँ आवाज़ देती हैं तुम्हारी याद से कब तक मैं अपने दिल को बहलाऊँ चले आओ मेरी तन्हाईयाँ आवाज़ देती हैं। #Newshayri