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मैं अमृता हूँ। फूल सी नाज़ुक ज़हर से ज्वर मिटाती हूँ

मैं अमृता हूँ।
फूल सी नाज़ुक ज़हर से ज्वर मिटाती हूँ।
नागफ़नी दिखती हूँ लेकिन बहुत से रोग-
हराती हूँ। 🎀 फूल जैसी हो तुम 🎀 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 आज की प्रतियोगिता (Challenge-355) "उठता धुआँ" को जीतने के लिए "फूल जैसी हो तुम" पर कोलाब करना अनिवार्य है।

🎀 2 लेखकों को मिलकर कोलाब करना है और कुछ अनोखा लिखने की कोशिश करनी है। 

🎀 Font छोटा रखिएगा जिससे वालपेपर खराब न हो। कम लिखिए या ज़्यादा लिखिए परन्तु अपना लिखिए।
मैं अमृता हूँ।
फूल सी नाज़ुक ज़हर से ज्वर मिटाती हूँ।
नागफ़नी दिखती हूँ लेकिन बहुत से रोग-
हराती हूँ। 🎀 फूल जैसी हो तुम 🎀 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 आज की प्रतियोगिता (Challenge-355) "उठता धुआँ" को जीतने के लिए "फूल जैसी हो तुम" पर कोलाब करना अनिवार्य है।

🎀 2 लेखकों को मिलकर कोलाब करना है और कुछ अनोखा लिखने की कोशिश करनी है। 

🎀 Font छोटा रखिएगा जिससे वालपेपर खराब न हो। कम लिखिए या ज़्यादा लिखिए परन्तु अपना लिखिए।