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आजकल मेरी ये रूह नाराज सी रहती है मुझसे मिलना उस

आजकल मेरी ये रूह 
नाराज सी रहती है मुझसे

मिलना उसे मैं चहुँ
तेरी पलकों तले छिपे ये

 देखो ये सर्द हवाए
सुलगाए फासलों को

लो रूबरू हो चले हम
हर सांस साथ गुज़ारे

तन्हाईयों में पिघलने 
ये फ़ासले भी तरसे

उलझी हुई सी राहे
हुमतुम सुलझे हुए से 

रोशन दिये सा जीवन
जलते दिये की लौ तुम

ये टिमटिमाते नगमे
सुरों की लड़ी से तुम

मेरी ज़िंदगी जो महकाये
वह अनमोल इत्र हो तुम



 #love #marriage
आजकल मेरी ये रूह 
नाराज सी रहती है मुझसे

मिलना उसे मैं चहुँ
तेरी पलकों तले छिपे ये

 देखो ये सर्द हवाए
सुलगाए फासलों को

लो रूबरू हो चले हम
हर सांस साथ गुज़ारे

तन्हाईयों में पिघलने 
ये फ़ासले भी तरसे

उलझी हुई सी राहे
हुमतुम सुलझे हुए से 

रोशन दिये सा जीवन
जलते दिये की लौ तुम

ये टिमटिमाते नगमे
सुरों की लड़ी से तुम

मेरी ज़िंदगी जो महकाये
वह अनमोल इत्र हो तुम



 #love #marriage
seemapurandare2087

_suruchi_

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