आजकल मेरी ये रूह नाराज सी रहती है मुझसे मिलना उसे मैं चहुँ तेरी पलकों तले छिपे ये देखो ये सर्द हवाए सुलगाए फासलों को लो रूबरू हो चले हम हर सांस साथ गुज़ारे तन्हाईयों में पिघलने ये फ़ासले भी तरसे उलझी हुई सी राहे हुमतुम सुलझे हुए से रोशन दिये सा जीवन जलते दिये की लौ तुम ये टिमटिमाते नगमे सुरों की लड़ी से तुम मेरी ज़िंदगी जो महकाये वह अनमोल इत्र हो तुम #love #marriage