प्रकृति की बाँसुरी बजने लगी हैं, नए पल्लव वृक्षों पे सजने लगे हैं, वसंत ऋतु की बहार आने लगी है।। कोयल भी कुहु कुहु करने लगी है वीणा की रुनझुन आहट होने लगी है, ग़ुलाल अबीरों से रंग सजने लगी है।। विद्यादायनी माँ की आगमन होने लगी है, काव्य, संगीत सौंदर्य एवं संपूर्ण कलाओं से, निपुण देवी शारदा की स्वागत होने लगी है।। चले सभी बंदे सदमार्गों पे सदैव निर्भय मन से हो अज्ञान का तम दूर जगत के सभी बन्दों से, आस कि ज्योत जलाके माँ से प्रार्थना होने लगी है।। #माँसरस्वती #बसंत #प्रकृति #yqdidi #life #poetry #maasaraswati #hindi