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डरों मत।

डरों मत।                                                  जब मैं ने उसे देखा तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा । उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर कहा , मत डर ; मैं प्रथम और अन्तिम और जीवता हूँ ( प्रकाशितवाक्य १ : १७ ) । _ _ जब आप वचनो का अध्ययन करेंगे , तो आप खोंजेंगे कि हमेशा परमेश्वर हम से कहता है , “ डरो मत " ; चाहे वह सुबह , दोपहर या रात हो ; इसके बावजूद कि आप क्या सुनते या कौन से लक्षणो को महसूस करते है , वह आपके हृदय में डर को नही चाहता है । क्योंकि वह सारी वस्तुओ को जानता है ; वह भविष्य

डरों मत। जब मैं ने उसे देखा तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा । उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर कहा , मत डर ; मैं प्रथम और अन्तिम और जीवता हूँ ( प्रकाशितवाक्य १ : १७ ) । _ _ जब आप वचनो का अध्ययन करेंगे , तो आप खोंजेंगे कि हमेशा परमेश्वर हम से कहता है , “ डरो मत " ; चाहे वह सुबह , दोपहर या रात हो ; इसके बावजूद कि आप क्या सुनते या कौन से लक्षणो को महसूस करते है , वह आपके हृदय में डर को नही चाहता है । क्योंकि वह सारी वस्तुओ को जानता है ; वह भविष्य

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