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नज़्म मेरी खुशियों की कविता कब लिक्खूंगा बढ़ जाएं

नज़्म

मेरी खुशियों की कविता कब लिक्खूंगा
बढ़ जाएंगी जब खुशियां तब लिक्खूंगा
वैसे खुशियों के पल कम ही आते हैं
मेरे आंगन में वो रुक ना पाते हैं
इक्का दुक्का ख़्वाब सुहाने आते हैं
पल भर की झूठी खुशियां दे जाते हैं
आंखें मेरी जैसे ही खुल जाती हैं
झट से खुशियां भी गायब हो जाती हैं
उनको मेरा साथ कभी ना भाता है
लेकिन ग़म से मेरा गहरा नाता है
शायद इक दिन अपनी हालत सुधरेगी
वक्त बदल जाएगा किस्मत चमकेगी
खुशियों पर ना ग़म की परछाई होगी
जीवन में बस खुशहाली छाई होगी
खुशियों की कविताएं तब मैं लिक्खूंगा
मधुर तराने सुंदर नग़मे लिक्खूंग

©Odysseus नज्म

मेरी खुशियों की कविता कब लिक्खूंगा
बढ़ जाएंगी जब खुशियां तब लिक्खूंगा
वैसे खुशियों के पल कम ही आते हैं
मेरे आंगन में वो रुक ना पाते हैं
शाज़-ओ-नादिर ख़्वाब सुहाने आते हैं
पल भर की झूठी खुशियां दे जाते हैं
नज़्म

मेरी खुशियों की कविता कब लिक्खूंगा
बढ़ जाएंगी जब खुशियां तब लिक्खूंगा
वैसे खुशियों के पल कम ही आते हैं
मेरे आंगन में वो रुक ना पाते हैं
इक्का दुक्का ख़्वाब सुहाने आते हैं
पल भर की झूठी खुशियां दे जाते हैं
आंखें मेरी जैसे ही खुल जाती हैं
झट से खुशियां भी गायब हो जाती हैं
उनको मेरा साथ कभी ना भाता है
लेकिन ग़म से मेरा गहरा नाता है
शायद इक दिन अपनी हालत सुधरेगी
वक्त बदल जाएगा किस्मत चमकेगी
खुशियों पर ना ग़म की परछाई होगी
जीवन में बस खुशहाली छाई होगी
खुशियों की कविताएं तब मैं लिक्खूंगा
मधुर तराने सुंदर नग़मे लिक्खूंग

©Odysseus नज्म

मेरी खुशियों की कविता कब लिक्खूंगा
बढ़ जाएंगी जब खुशियां तब लिक्खूंगा
वैसे खुशियों के पल कम ही आते हैं
मेरे आंगन में वो रुक ना पाते हैं
शाज़-ओ-नादिर ख़्वाब सुहाने आते हैं
पल भर की झूठी खुशियां दे जाते हैं
odysseus9022

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