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# बनती मिटती है ये, बाहर की दुनिय | English Poetry

बनती मिटती है ये, बाहर की दुनिया,
तू अंदर की दुनिया यार, सही रखना,
बाहर की दीवारें, चाहे कैसी हों
मन की दीवारों पे, पर खिड़की रखना।

~ नितिन कुमार हरित #NitinKrHarit

बनती मिटती है ये, बाहर की दुनिया, तू अंदर की दुनिया यार, सही रखना, बाहर की दीवारें, चाहे कैसी हों मन की दीवारों पे, पर खिड़की रखना। ~ नितिन कुमार हरित #NitinKrHarit #Poetry

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