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कसमसाकर रह जाता है मन जब कहना चाहे कुछ कह नहीं पात

कसमसाकर रह जाता है मन
जब कहना चाहे कुछ कह नहीं पाता मन

बढ़ती जाती हैं दूरियाँ अकारण ही
कारण जानना चाहकर भी जान नहीं पाता मन

जो कभी थे साथ हो जायें दूर
चाहकर भी पास अपने बुला नहीं पाता मन

उलझ जाता है कभी ख़ुद में ही
नहीं सुलझता भटका हुआ निकल नहीं पाता मन

अंदर ही रखता बहुत कुछ अपने
खुलकर बाहर नहीं ला पाता अपने मन की मन...!

कसमसाकर रह जाता है मन
जब कहना चाहे कुछ कह नहीं पाता मन...!
Muनेश..Meरी✍️🌺

 मन की अपनी दुविधाएं हैं।
#कसमसाहट #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
कसमसाकर रह जाता है मन
जब कहना चाहे कुछ कह नहीं पाता मन

बढ़ती जाती हैं दूरियाँ अकारण ही
कारण जानना चाहकर भी जान नहीं पाता मन

जो कभी थे साथ हो जायें दूर
चाहकर भी पास अपने बुला नहीं पाता मन

उलझ जाता है कभी ख़ुद में ही
नहीं सुलझता भटका हुआ निकल नहीं पाता मन

अंदर ही रखता बहुत कुछ अपने
खुलकर बाहर नहीं ला पाता अपने मन की मन...!

कसमसाकर रह जाता है मन
जब कहना चाहे कुछ कह नहीं पाता मन...!
Muनेश..Meरी✍️🌺

 मन की अपनी दुविधाएं हैं।
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