तुम गंगा की एक धारा सी , मैं बना किनारे घाट प्रिये क्षणभंगुर है अपना ये मिलन , फिर बिरह की बस रात प्रिये उस मिलन में कुछ. तुम कहना , कुछ सुन लेना मेरी बात प्रिये तुम गंगा की एक धारा सी , मैं बना किनारे घाट प्रिये तुम शीतल,निश्च्छल,पावन हो , मैं कठोर शब्द का भांन प्रिये तुम रुद्र भी हो शिव तांडव सा , मैं बस उस शिव का ध्यान प्रिये तुम गंगा की एक धारा सी , मैं बना किनारे घाट प्रिये हर सागर में है तुम्हारा घर , मेरा बस एक स्थान प्रिये तुम इन्द्रधनुष,तुममें जीवन , मैं मौंन,निशब्द,निष्प्राण प्रिये तुम गंगा की एक धारा सी , मैं बना किनारे घाट प्रिये #wayward #poem #love #time