शीर्षक - "पिताजी / बाऊजी" जब तुम मुझे नहीं देख रहे होते हो ऐन उसी वक़्त मैं तुम्हें आंखों से सहला रहा होता हूँ. जान कहाँ पाते हो तुम ? कैसे जताऊं ,कि, मैं बिल्कुल सख्त दिल नहीं. ठंड से दुबके तुम्हारे बदन पे हौले से ओढ़ाया गया कम्बल हूँ, वो चुम्बन हूँ जो मैं तुम्हारे माथे पे देना चाहता था..नहीं दे पाया. #Pitaji