हमें जाना रहा ऊपर, मगर नीचे चले आये। तुम्हारे तन की खुशबू से, इधर खींचे चले आये। दिखा हमको नहीं कुछ भी,पड़ा था सामने पत्थर- मगर देखे बिना हम आँख यूँ भींचे चले आये। #मुक्तक #चले_आये #विश्वासी