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यू न समझो कि ठहर गया हूँ थककर, रफ़्तार धीमी ही सही

यू न समझो कि ठहर गया हूँ थककर,
रफ़्तार धीमी ही सही पर चल रहा हूँ मैं।
माना कि अंधेरे बहुत है हवाओं के संग,
थोड़ा धीमा ही सही पर जल रहा हूँ मैं।
हाँ वक्त की ठोकरों से सहमा जरूर था,
पर अपने बुलंद इरादों से सम्भल रहा हूँ मैं।
कह दो इन मंजिलो से कि बहुत हुआ अब,
वक्त आ गया है इतिहास बदल रहा हूँ मैं।

©Kumar Prahlad #इतिहासबदलना
यू न समझो कि ठहर गया हूँ थककर,
रफ़्तार धीमी ही सही पर चल रहा हूँ मैं।
माना कि अंधेरे बहुत है हवाओं के संग,
थोड़ा धीमा ही सही पर जल रहा हूँ मैं।
हाँ वक्त की ठोकरों से सहमा जरूर था,
पर अपने बुलंद इरादों से सम्भल रहा हूँ मैं।
कह दो इन मंजिलो से कि बहुत हुआ अब,
वक्त आ गया है इतिहास बदल रहा हूँ मैं।

©Kumar Prahlad #इतिहासबदलना