मेरे इसरार से तू अगर रुकने वालों में से होता मैं अपनी जान दे देती तुझे जाने नही देती ।। रोशन है जो दिल में चराग ऐ मोहब्बत लहू का कतरा कतरा दे के इसे बुझने नही देती ।। सिलसिले मोहब्बत के जो अब अंजाम तक है हर हद से गुजर जाती इसे रुकने नही देती ।। बड़े अरमानों से सजाया था प्यार का गुलशन खुद बिखर जाती इसे मिटने नही देती ।। ना होती गर तुझे फिक्र ज़माने की मुझसे ज़्यादा सच कहती हूं जान तुझे बिछड़ने नही देती ।। मेरे इसरार से तू अगर रुकने वालों में से होता मैं अपनी जान दे देती तुझे जाने नही देती ।। मेरे इसरार (request or insist) से तू अगर रुकने वालों में से होता मैं अपनी जान दे देती तुझे जाने नही देती ।। रोशन है जो दिल में charag-e-mohabbat लहू (Blood) का कतरा कतरा (Drops) दे के इसे बुझने नही देती ।। सिलसिले मोहब्बत के जो अब अंजाम (End) तक है हर हद से गुजर जाती इसे रुकने नही देती ।। बड़े अरमानों से सजाया था प्यार का गुलशन (garden) खुद बिखर जाती इसे मिटने नही देती ।।