लड़की हो ,कर क्या लोगी सबकुछ यूंही चुप - चाप सह लोगी। गूंगीं बनकर बैठी क्यों हो? तुम्हारे पास भी तो जु़बान है। क्यों चाहिये ज़माने का साथ?? तेरी खुद की भी तो पहचान है। महलों मे रह रहे ये इंसान नहीं ,ये तो हैवानों की बस्ती है। महंगाई तो सिर्फ बाजारों मे है। सोच तो आज भी यहां , सबकी घटिया और सस्ती है। किसी की चीख सुनकर ,जो मदद से भागते हैं; फिर वही लोग सड़कों पर मोमबत्तियाँ लेकर , इंसाफ मांगते हैं। अरे नही चाहिये !इतनी आजा़दी , बस हमारी हिफा़जत का वादा कर दो। अब खत्म करनी है ये कूरीति ; मन मे एक यही छोटा सा इरादा कर लो। कितना गिरोगे इंसानों अब , पाताल के नीचे तो भगवान ने दुनिया भी नही बनाई। बदले मे बना देता कुछ और जानवर , तो जन्म ही न लेते ऐसे कसाई। लड़की हो न! कर क्या सकती हो। सुनती रहो बैठ कर ये खबरें , जब तक तुम सह सकती हो। लड़की हो न , कर क्या सकती हो। #shivii #RIPHUMANITY_ .. we humans are in forefront in setting examples whether its anything.. Good or bad better or worst. #Stoprape