महसूस हो रहा है अब वो बड़े हो गए हैं जिधर से हैं वो गुज़रते सब खड़े हो रहे हैं अपने हालात पर हमें कभी शर्म नहीं आई दिलों के फ़ासले भी और चौड़े हो रहे हैं दहकते दिन ने है शाम को हाथ लगाया शीशे के दिल पिघलकर और कड़े हो रहे हैं.... ©trehan abhishek ♥️ Challenge-917 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।