इरादे के पक्के कभी हारकर ,नहीं लौटते ;हमेशा जीतकर ;आते हैं उम्मीद और कोशिश से जो , अपना दिल ; लगाते हैं कर लेते हैं , हर संकट को , हँसते - हँसते ; पार साथ वालों को भी जीवन में आगे बढ़ना सिखाते हैं कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद इरादे के पक्के...... कीर्तिप्रद