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हर शिकायत अपनी जगह,पर मुहब्बत के कुछ उसूल हैं, यू

हर शिकायत अपनी जगह,पर मुहब्बत के  कुछ उसूल हैं,
यूं सरे -आम रुसवा हो , बेरूख़ी का पैग़ाम ना दो । 
खेल- खेल में टूट जाते है,कांच के नाजुक घर अक्सर,
रिश्तों में रूठने मनाने को,इतना भी ऊंचा मकाम ना दो 
माना तेरे तल्ख लहजे के भी मुरीद है जमाने में,
पर आंखो को बस नराजगियों की ही जबान ना दो 
जो कल खुद से मिलो तो हो जाओ शर्मिंदा ,
अपनी आदतों को ऐसा हुकुंपरस्त गुलाम ना दो ।। #नाराजगी #शायरी  #रिश्ते
हर शिकायत अपनी जगह,पर मुहब्बत के  कुछ उसूल हैं,
यूं सरे -आम रुसवा हो , बेरूख़ी का पैग़ाम ना दो । 
खेल- खेल में टूट जाते है,कांच के नाजुक घर अक्सर,
रिश्तों में रूठने मनाने को,इतना भी ऊंचा मकाम ना दो 
माना तेरे तल्ख लहजे के भी मुरीद है जमाने में,
पर आंखो को बस नराजगियों की ही जबान ना दो 
जो कल खुद से मिलो तो हो जाओ शर्मिंदा ,
अपनी आदतों को ऐसा हुकुंपरस्त गुलाम ना दो ।। #नाराजगी #शायरी  #रिश्ते