बेताबी क्या बया करू तुम्हें क्या तुम्हें एहसास नहीं, रोज नहीं पर क्या कभी भी तुम्हें आते हम याद नहीं, तुम्हें तो पसंद था इन आँखों में डूबना, क्या मेरी आँखों की अब तुम्हें चाह नहीं, सुनो! छुपालो चाहे बेताबियाँ अपनी, तुम्हें क्या लगता हैं खामोशी हम समझते नहीं। #बेताबी #बेताबियाँ #Nojoto #nojotoshayri #nojotoapp #nojotohindi