पंछी की आवाजे कानों में चहचहाती है... सूरज की किरणे शबनम को चमकाती है... नदी की धाराएं लहरे बन इतराती है... धरा पर तब सुबह मुस्कुराती है.... आंखो की भाषा आंखें समझाती है.. अनछुए अहसास हाथो से लिखवाती है... पंख बन पांवों को हवा मे लहलहाती है... ह्रदय की दहलीज तब सुबह मुस्कुराती है... #mkmssaq ©Shahzad Ahmed Qureshi #कविता #Shayar #शायरी #Zindagi #mkmssaq #दोपहर