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कुछ मीठा सा रिश्ता है तुमसे, जैसे भवरे को, फूलों

कुछ मीठा  सा रिश्ता है तुमसे,
जैसे भवरे को, फूलों से,
जैसे सुबह को, ओस की बूंदों से,
जैसे भोर को,सूरज की लाली से,

कुछ अपना सा लगता है तुमसे,
जैसे पहली बारिश को ,सुखी मिट्ठी से,
जैसे तपती लू को ,पेड़ की छांव से,
जैसे सर्द दिनों को , खिलखिलाती धूप से,

कुछ सुकून सा मिलता है तुमसे,
जैसे गहरे  समंदर को ,लहरों से,
जैसे वादियों को,ठंडी बर्फ से,
जैसे अंधेरे को,पूनम के चांद से।
                                            ©viv1_baghel #love #shayari #poetry #ishq #ehsaas
कुछ मीठा  सा रिश्ता है तुमसे,
जैसे भवरे को, फूलों से,
जैसे सुबह को, ओस की बूंदों से,
जैसे भोर को,सूरज की लाली से,

कुछ अपना सा लगता है तुमसे,
जैसे पहली बारिश को ,सुखी मिट्ठी से,
जैसे तपती लू को ,पेड़ की छांव से,
जैसे सर्द दिनों को , खिलखिलाती धूप से,

कुछ सुकून सा मिलता है तुमसे,
जैसे गहरे  समंदर को ,लहरों से,
जैसे वादियों को,ठंडी बर्फ से,
जैसे अंधेरे को,पूनम के चांद से।
                                            ©viv1_baghel #love #shayari #poetry #ishq #ehsaas
viveksingh6467

Vivek Singh

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