जो करीब थे मेरे यारो, दूरी उनसे मैंने आज खुद ही बनाई है, अहंकारी बनकर,दिखावा करके आज झूठी तसवीर दिखाई है | मानता हूँ आज हर शख्स मैंने अपने खिलाफ़ कर लिया है, हालात हैं कुछ ऐसे, जो सुननी पढ़ रही आज मुझे बुराई है | इतना वाकिफ़ कौन हो सका है,किसी की शख्सियत से कभी, किसी का किरदार क्यूँ ऐसा है,झूठ के पीछे कितनी सच्चाई है| झूठे,धोखेबाजो का है दौर,असलियत कहाँ कौन जानता है, झूठ सच्चा है आज, सच को ही देनी पड़ती अब सफ़ाई है | लोगों ने जो कहा, तुम उसे ही सच मान बैठे हो, क्या कहें, अरे!सच तो पूछ लेते, जो आज तूने नजर से नजर चुराई है | बुरा बना दिया जाता है, जब खुशी किसी की देखी ना जाए, बताओ!दुश्मन की खुशियाँ कब ये दुनिया देख सहार पाई है | जो जैसा है अब वैसा दिखा पाए,अब कहाँ है मुमकिन यारो, बुरा बनना ठीक है,अब धोखेबाजो से करनी ना मुझे लड़ाई है| ©Rahul Anand #Famous #Books