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शब्दों के गलियारे से, एक धार बड़ी मन भायी है । उर ब

शब्दों के गलियारे से, एक धार बड़ी मन भायी है ।
उर बेध निरत बहते बहते, मधुमय चितिस्राव्या आयी है ।।
वह असीमित सौंदर्यपूर्ण, बन रक्त बही मेरे तन से ।
कभी कलम की स्याही बनती है,
कभी अश्रु बनी बह अँखियन से ।।
होती बहाव में बाधा जब, हम मचल मचल रह जाते हैं ।
दिल के दो आधे टुकड़े हैं, हम विरह में व्यान समाते हैं ।।
यह कृति चंद्रोदय रात्रि है, मधुस्वर्णा के हृद सरिता की ।
यह कविता प्रणय प्रदात्री है,
आलोकित मनु चिर वनिता की ।। "चिर प्रेमिका" "Eternal Lover"
विशुद्ध प्रेम की धाराओं से सनी एक कविता..
चिरंतनता को दर्शाती सी..
प्रेमिका के अटल प्रेम की..

Much Love 😍😍

#alokstates #vrindasays
शब्दों के गलियारे से, एक धार बड़ी मन भायी है ।
उर बेध निरत बहते बहते, मधुमय चितिस्राव्या आयी है ।।
वह असीमित सौंदर्यपूर्ण, बन रक्त बही मेरे तन से ।
कभी कलम की स्याही बनती है,
कभी अश्रु बनी बह अँखियन से ।।
होती बहाव में बाधा जब, हम मचल मचल रह जाते हैं ।
दिल के दो आधे टुकड़े हैं, हम विरह में व्यान समाते हैं ।।
यह कृति चंद्रोदय रात्रि है, मधुस्वर्णा के हृद सरिता की ।
यह कविता प्रणय प्रदात्री है,
आलोकित मनु चिर वनिता की ।। "चिर प्रेमिका" "Eternal Lover"
विशुद्ध प्रेम की धाराओं से सनी एक कविता..
चिरंतनता को दर्शाती सी..
प्रेमिका के अटल प्रेम की..

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