न जाने क्या हो जाता था मुझे उसे अचानक देखकर जिस्म बेजां हथेलियां ठंडी हो जाती थी वाकया उन दिनों का है जब उसके सवाल पहेलियाँ हो जाती थी ज़िक्र गुंजाईश का न करो दिल मे हवेलियां बन जाती थी मुझे आज भी याद है जब गले लगाती थी तो जान पर बन जाती थी न जाने क्या हो जाता था मुझे तुझे अचानक देखकर जिस्म बेजां हथेलियां ठंडी हो जाती थी #एक मुलाकात ऐसी भी Qaisar Ryu