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अधूरा इश्क़ इक शोर छिपी थी उसकी खामोशी में, इक

अधूरा इश्क़ 

 इक शोर छिपी थी उसकी खामोशी में,
इक मैं थीं इस तूफान से बेखबर अनजान;
इक दर्द की नुमाईश थी उसकी मुकुराहट में
इक मैं खोई सी दिल में लिए अनदेखे अरमान
लाज़िम था इस इश्क का अधूरा रह जाना
इक सिमटने को पागल, इक बिखरने से परेशान।

©alfaz-e- Ishq
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