एक साहित्यकार के प्रेम में द्वेष, इर्ष्या ,नफरत और अपवित्र नियत नहीं होता वो अतिसंवेदनशील विलक्षण भावों से परिपूर्ण पवित्र होता है क्योंकि कवित्व असंख्य वेदनाएं के बाद ही जागृत होता है अर्थात एक साहित्यकार का प्रेम उसके काव्य के अनुरूप निरंतर सांस लेता है वो युगों युगों तक पन्नों में जीवित रहता है और जब जब कोई उसे पवित्र लफ्जों से पढ़े तो रजनीगंधा सा वो अद्वितीय महक उठता है । साहित्यकार का प्रेम निश्छल और स्वार्थहीन होता है । उसके प्रेम को कभी भी कमज़ोर और छल के नज़रिए से ना देखें मन की आंखों से देखने पे वो खूबसूरत और अमर दिखता है। #पागल_प्रेमी #साहित्यकार #कुणाल #मेरे_जज्बात008 #yqdidi #yqbaba #kunu Love you my beautiful writer 😜😘😘😘😘😘