मैं कैसे भूलूँ वो सब जो तुमने मुझे दिया था वो ज़ख्म ,जो नासूर बन कर मेरे भीतर धंसा था उसका दर्द आज भी मेरे भीतर ताजा है मुझे याद है सब कैसे तुमने मेरी तरफ़ हाथ बढ़ा कर किसी और को गले से लगाया था कितनी खूबसूरती से तुमने मुझे साध कर किसी और को फँसाया था मुझसे मन जब भर आया था तुम्हारा तो तुमने मुझे कैसे ठुकराया था मेरे ही दोस्तो के सामने मुझे खून के आँसू रुलाया था तुम्ही बताओ आखिर कैसे भूलूँ वो सब–अभिषेक राजहंस #NojotoQuote कैसे भूलूँ वो सब