तुमसे हो नहीं पाएगा , ये चार लफ्ज़ झुठलाते है उस कायनात को जो कभी आग का गोला थी , और आज जन्नत की तस्वीर , ... तुमसे हो नहीं पाएगा , अगर ये चार लफ्ज़ सच है तो क्या इंसान का चांद पे जाना और वहां से मिट्टी लाना झूठ है , क्या लंगोटी पहने फकीर का ब्रिटिश हुकूमत से टकराना और जीत के आना झूठ है, ... क्या 9 मजहबों और तीन हजार जातियों वाले इस देश का एक तिरंगे पे आके जन - गन - मन गाना झूठ है .... ज़रा कह दो उनसे जो हमे नामुमकिन का सबक सिखाते है की 70 साल पहले हम सिर्फ सुई , रूई बनाते थे , आज रॉकेट्स बनाते है , कभी सपरे कहलाते थे , आज एशिया की शान कहलाते है , जिसे Third word country , कहके हाशिए पे डाल दिया, आज उसके बेटे - बेटियां तुम्हारी दुनियां चलाते हैं ... चलो मान लिया आज सूरज धुंधला पड़ गया है , चांद फिका , मान लिया आज उतरीं हुई है ज़िन्दगी .. मान लिया कश्तियां डगमगा रही है , हिम्मते लड़खड़ा रही है , पर इसका मतलब ये तो नहीं हम संभलना भूल जाएंगे मौसम बदलना भूल जाएंगे , चिराग जलना भूल जाएंगे , अरे पैरो में कांटा चुभ गया तो हम चलना भूल जाएंगे ,.. मुश्किलों कब तक सर उठाओगी एक दिन हम तुम्हे झुकना सीखा देंगे , आज तुम्हारा दिन हैं हवा में उड़ लों , कल हमारा दिन होगा तुम्हे ठोकरों से उड़ा देंगे .... आज कैलेंडर की तारीखें ठहर गई तो क्या हुआ , वो दिन भी बीते थे , ये दिन भी बीतेंगे , हम पहले भी लड़ के जीते है , इस बार भी लड़ के जीतेंगे .... ये दिल का परिंदा है फिर से फड़फड़ाएगा पंख फैलाएगा और ऐसी उड़ान भरेगा की सितारे चूम के आएगा ..... हमसे दोबारा मत कहना तुमसे नहीं हो पाएगा !! Manoj muntashir sir ,🙏