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जब जज़्बातों से मिलने की चाह होती है, काग़ज

जब  जज़्बातों  से  मिलने  की  चाह  होती है, 
काग़ज़  कलम से मिलने की मेरी राह होती है! 

मैं उकेल देता हूँ अपना दर्द कभी खुशी अपनी, 
रोता हूँ अंदर पर बाहर मेरी वाह - वाह होती है! 

लोग  सुनते  है  मुझे  फिर  दाद  मिलती  है 'कुमार',
मेरी कलम के सिवा ना किसी को मेरी परवाह होती है! 

©Jai Kumaar  #YQBaba 
#essenceofwriting 

Nominating 
Sunita Agarwal ji
Anita Bisht di
जब  जज़्बातों  से  मिलने  की  चाह  होती है, 
काग़ज़  कलम से मिलने की मेरी राह होती है! 

मैं उकेल देता हूँ अपना दर्द कभी खुशी अपनी, 
रोता हूँ अंदर पर बाहर मेरी वाह - वाह होती है! 

लोग  सुनते  है  मुझे  फिर  दाद  मिलती  है 'कुमार',
मेरी कलम के सिवा ना किसी को मेरी परवाह होती है! 

©Jai Kumaar  #YQBaba 
#essenceofwriting 

Nominating 
Sunita Agarwal ji
Anita Bisht di