जीवन एक इंद्र धनुष ही होता है,,,, लेकिन सुर्य रुपी कृपा सिंधु मिल जाये तब---- हम जीवन को हमेशा अँधकार मे सफेदी रुपी आकाशगंगा सा बना लेते है,,,, प्रभात का अर्थ "सुर्योदय"नही होता बल्कि वो आपके इतिहास लिखने का नित नया अवसर होता है हम हर बार अवसर की अनदेखी करते है लेकिन अवसर किसी का इंतजार नही करता है