पाया क्या, खोया क्या! दिया क्या, लिया क्या! पूरी जिंदगी क्या इसी में शमा गई, जैसे सोचा क्या और हुआ क्या! कहीं धूप तो कहीं छाव, कहीं मल्हम तो फिर गहरे घाव। कभी कुछ बनना है, किसी को दिखाना है, मगर हर वक़्त सिर्फ सलाह मांगना है। अस्तित्व का लगाव है, न झुठे शान का, बस नाम की जिंदगी है, कभी हँसने और फिर रोने का।। #life #डायरीकेपन्नोंसे