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किसे पता था विश्व पर, होगा ये आघात । कोरोना दिखलाए

किसे पता था विश्व पर, होगा ये आघात ।
कोरोना दिखलाएगा, लाशों की बारात ।।
लाशों की बारात, घना रंग छाया काला ।
अर्थी इकली जाय, न कोई रोने वाला ।।
याद रखेंगे पल-पल, कैसे काल कटा था ।
रोज नये शमशान, बनेंगे किसे पता था ।।

©Manglesh Dutt "लाशों की बारात"
किसे पता था विश्व पर, होगा ये आघात ।
कोरोना दिखलाएगा, लाशों की बारात ।।
लाशों की बारात, घना रंग छाया काला ।
अर्थी इकली जाय, न कोई रोने वाला ।।
याद रखेंगे पल-पल, कैसे काल कटा था ।
रोज नये शमशान, बनेंगे किसे पता था ।।

©Manglesh Dutt "लाशों की बारात"