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इस उम्मीद से ज़िन्दगी जिए जाते है गुज़रे दिन शायद

इस उम्मीद से ज़िन्दगी जिए जाते है
गुज़रे  दिन शायद लौट आते हैं

जिन रास्तों को लोग भूल जाते हैं
पर कदमों के निशा छोड़ जाते हैं

दिन तो गुज़र जाता है किसी तरह 
रात को यादों के जुगनू चमक जाते है

जो कभी घर हुआ करता था सभी का 
अब वो घर कमरो में बाटें जाते हैं

चारो ओर लोगों का हूजूम दिखता है
मिलते तो बहुत है पर नाम भूल जाते हैं

रात तो अंजाम है दिन का ' गुल '
शुक्र - ए - खुदा तेरा एक नयी सहर देख पाते हैं।


Ⓢ #zindgi #ज़िंदगी #शायरी #मेरेअल्फ़ाज़
इस उम्मीद से ज़िन्दगी जिए जाते है
गुज़रे  दिन शायद लौट आते हैं

जिन रास्तों को लोग भूल जाते हैं
पर कदमों के निशा छोड़ जाते हैं

दिन तो गुज़र जाता है किसी तरह 
रात को यादों के जुगनू चमक जाते है

जो कभी घर हुआ करता था सभी का 
अब वो घर कमरो में बाटें जाते हैं

चारो ओर लोगों का हूजूम दिखता है
मिलते तो बहुत है पर नाम भूल जाते हैं

रात तो अंजाम है दिन का ' गुल '
शुक्र - ए - खुदा तेरा एक नयी सहर देख पाते हैं।


Ⓢ #zindgi #ज़िंदगी #शायरी #मेरेअल्फ़ाज़
sarojsharma5618

mere alfaaz

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