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ले आज मैं देता हूँ, तुझे एक पल अदायगी का; लेकिन वा

ले आज मैं देता हूँ,
तुझे एक पल अदायगी का;
लेकिन वापस लेता हूँ तुझ से,
हक़ खुली आँखों का ।।

सो जा ऐ ख्वाब !
तू इतिहास हो चला
मेरी अँगड़ाई तले,
तू बड़ा हुआ ।।

एक मीठा गीत जो,
मैं तुझे सुनाता हूँ ।
आगे यादों से तू बढ़े,
यही मैं चाहता हूँ ।। वक़्त - सादगी से परे, असंख्य क्षणों में हमारे सम्मुख सुविधा और दुविधा का खेल रचता है । यह ख्वाब ही हैं जो इस वास्तविकता से परे अलग विलीन होते हैं । यह मेरे या वक़्त के हैं यह तो नहीं जानता । पर अगर वक़्त उन्हें सुलायेगा तो क्या कहेगा यह ज़रूर सोच सकता हूँ । Ayena मैम के दिए इस चुनौती में एक #लोरी लिखने का बड़ा जिम्मा मैं सीधे सीधे पूरा करने में असक्षम हूँ । न तो मेरे पास वो तजुर्बा है के मैं एक माँ की ममता का वर्णन कर सकूँ और न ही वो दृष्टि जो मुझे उसके काबिल बनाये । यहाँ वक़्त के भावों को दर्शाने के
ले आज मैं देता हूँ,
तुझे एक पल अदायगी का;
लेकिन वापस लेता हूँ तुझ से,
हक़ खुली आँखों का ।।

सो जा ऐ ख्वाब !
तू इतिहास हो चला
मेरी अँगड़ाई तले,
तू बड़ा हुआ ।।

एक मीठा गीत जो,
मैं तुझे सुनाता हूँ ।
आगे यादों से तू बढ़े,
यही मैं चाहता हूँ ।। वक़्त - सादगी से परे, असंख्य क्षणों में हमारे सम्मुख सुविधा और दुविधा का खेल रचता है । यह ख्वाब ही हैं जो इस वास्तविकता से परे अलग विलीन होते हैं । यह मेरे या वक़्त के हैं यह तो नहीं जानता । पर अगर वक़्त उन्हें सुलायेगा तो क्या कहेगा यह ज़रूर सोच सकता हूँ । Ayena मैम के दिए इस चुनौती में एक #लोरी लिखने का बड़ा जिम्मा मैं सीधे सीधे पूरा करने में असक्षम हूँ । न तो मेरे पास वो तजुर्बा है के मैं एक माँ की ममता का वर्णन कर सकूँ और न ही वो दृष्टि जो मुझे उसके काबिल बनाये । यहाँ वक़्त के भावों को दर्शाने के
calmkazi6439

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