बोलो दिल को कैसे रोकें, आँखें ख़्वाब तुम्हारा देखे, ख़ुश-फ़हमी में जीता है मन, तेज हवा के चलते झोंके, उड़ता आँचल मस्त निगाहें, आते-जाते धड़कन टोके, सुंदरता जब करे प्रदर्शन, आशिक़ बेचारा दिल फेंके, घुली हवा में ख़ुश्बू तन की, बेकाबू मन आँखें सेंके, गहरी निशा नींद है ग़ायब, इंतज़ार में खुले झरोखे, गुंजन दिल का हाल न पूछो, सच्ची यारी के रंग चोखे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन', चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सच्ची यारी#