आज कहर छा रहा ऐसा कुदरत का ना दुआ का असर ना दवा का फिर भी एकजुट बन जी रहा हिंदुस्तान ये हमारा न जाने और कैसी घड़ी आएगी आगे पर हरहाल में मुस्कुराना भूले कहाँ है मेरे भारतवासी आज भूख से तड़पा है अगर कहीं एक गरीब साथी कई बड़े दिलवालों की चिंता भरपूर है जागी आगे आकर उनकी भी भूख शांत करने को भोलेनाथ सी कृपा उनमें भी हरबार जागी कौन कहता है मजहब के द्वेष सभी में है पनपते जरा गहराई से जानोगे कुछ लोगो को तो सारे ही धर्म फिके पड़ गए है इंसानियत आगे जो भी लेके बैठे है झूठे रुबाब को अपने अंदर थोड़ा ध्यान देना घमंड की चादर ओढ़ने वालो मैंने कई बड़ी इमारतों को दरिया में डूबते देखा था पोएट्री#लव#दिल#परोपकार#सच्चाई#