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मेरी आराइश पाकीज़ा है, मुक़द्दस इन निगाहों में तू

मेरी आराइश  पाकीज़ा है, मुक़द्दस  इन  निगाहों में तू डूबेगा कैसे
इफ़्फ़त  हैं  नज़रें  मेरी  तू  नज़रों  से  मेरी बच कर निकलेगा कैसे

इन  वादियों  की  सारी  ख़ुशबू  झील  का  पानी  निगल गयी  हूँ मैं
आफ़ताब सी ताब है मुझमें तू चराग़ खुद का लेकर निकलेगा कैसे आराइश- अलंकरण
मुक़द्दस- pure
इफ़्फ़त- पवित्र
आफ़ताब-सूरज
ताब- चमक
🌝प्रतियोगिता-83🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️
मेरी आराइश  पाकीज़ा है, मुक़द्दस  इन  निगाहों में तू डूबेगा कैसे
इफ़्फ़त  हैं  नज़रें  मेरी  तू  नज़रों  से  मेरी बच कर निकलेगा कैसे

इन  वादियों  की  सारी  ख़ुशबू  झील  का  पानी  निगल गयी  हूँ मैं
आफ़ताब सी ताब है मुझमें तू चराग़ खुद का लेकर निकलेगा कैसे आराइश- अलंकरण
मुक़द्दस- pure
इफ़्फ़त- पवित्र
आफ़ताब-सूरज
ताब- चमक
🌝प्रतियोगिता-83🌝
 
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