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जरूरत के कंधे झुके हुए थे वक्त ठहेरा था हम भी रुक

जरूरत के कंधे झुके हुए थे 
वक्त ठहेरा था हम भी रुके हुए थे
इंतजार था कोई आकर सम्हाल लेगा
कोई तो होगा जो मुझे थाम  लेगा
कोई न हुआ मेरा हम सबके हो गए 
आज सब मेरे है पर हम खुद के हो गए

©manshisingh@gmail.com
  jarurat ke समय की साथ 🥰🥰

jarurat ke समय की साथ 🥰🥰 #शायरी

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