तू उड़ती रहती पतंग सी तुझे पकड़ता चला गया, नादान-ए-दिल की लड़ाई उमर भर लड़ता चला गया, ऐ पतंग! मुझे मालूम ही ना था, तू किस डोर से बंधी है? मैं तो यूं ही तेरे दीदार में, उलझता चला गया!! तू उड़ती रहती पतंग सी तुझे पकड़ता चला गया #MGPlus #poetrybyManishGupta