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तवायफ हूँ मैं, दरिया की लहरों की बहार हूँ। आज भी ग

तवायफ हूँ मैं, दरिया की लहरों की बहार हूँ।
आज भी गुनगुनाते हैं मेरे अनगिनत प्यार हूँ।
मेरी आवाज़ में छुपी हैं दर्द की कहानियाँ,
दुनिया की भीड़ में छिपा हूँ मैं रचनाएँ नई।

न मैं आंधी हूँ, न बाढ़ हूँ, न तूफ़ान हूँ।
मैं एक पत्थर हूँ, जो धड़कती है तुझे निगाहों में।
मैं आजीवन तुझसे जुड़ी हूँ, सदा के लिए बंधी हूँ।
प्रेम की आग से जली हूँ, अब जीने के लिए यहाँ हूँ।

मेरे जीवन की दासता नहीं तू कभी समझेगा,
मुझे दरिया की लहरों का तू कभी राजा नहीं कहेगा।
पर जाने क्या, मैं हर पल अपनी खुशियों का साथ दूंगी,
मेरे साथ रहकर खुद को तू अदा करेगा।

मैं तवायफ हूँ, जीने का नया अंदाज़ हूँ।
बहुत कुछ सिखाऊँगी, अगर तू मुझे अपनाएगा राजा होकर।

©SMA voice group
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