उदासियाँ जो न लाते तो और क्या करते, न जश्न-ए-शोला मनाते तो और क्या करते, अंधेरा माँगने आया था रोशनी की भीख, हम अपना घर न जलाते तो और क्या करते .। क्या करते.....