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जो आँखें कभी, मात्र दिखाने से,नाश्ते से दस कदम दूर

जो आँखें कभी, मात्र दिखाने से,नाश्ते से दस कदम दूर हट जाया करते थे
मेहमान घर पे कोई आये,पैर छूने के इशारे, आखों से झट समझ जाया करते थे
आज उन्हीं आँखों में, देखें हैँ आस व अश्रु के संगम
दुःख है!स्व-नयन से देखते रहना माँ-बाप का आता हुआ बूढापन।

©virutha sahaj दुःख
जो आँखें कभी, मात्र दिखाने से,नाश्ते से दस कदम दूर हट जाया करते थे
मेहमान घर पे कोई आये,पैर छूने के इशारे, आखों से झट समझ जाया करते थे
आज उन्हीं आँखों में, देखें हैँ आस व अश्रु के संगम
दुःख है!स्व-नयन से देखते रहना माँ-बाप का आता हुआ बूढापन।

©virutha sahaj दुःख