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विरह गूँज अश्रु राज, अस्थिर मन हृदय गाज । प्रियतम

विरह गूँज अश्रु राज, अस्थिर मन हृदय गाज ।
प्रियतम अस्ति विभाज, हिय के युज घड़ी आज ।।
संशय मत कीजिये, पिव की सुधि लीजिये जगह कम थी दीप.. तो तुम्हारी कविता के आंतरिक भाव से भीत, सारांश लिखा गया..

सुप्रभात..
Much Love 😊🌹😀🌹😊
•••••••••••••••••••••••••••••••
शब्दार्थ
°°°°°°
हिय - हृदय
विरह गूँज अश्रु राज, अस्थिर मन हृदय गाज ।
प्रियतम अस्ति विभाज, हिय के युज घड़ी आज ।।
संशय मत कीजिये, पिव की सुधि लीजिये जगह कम थी दीप.. तो तुम्हारी कविता के आंतरिक भाव से भीत, सारांश लिखा गया..

सुप्रभात..
Much Love 😊🌹😀🌹😊
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शब्दार्थ
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हिय - हृदय