बरसेंगी रहमतें खुदा न मशरूफ़ है, सब्र रख मिलेगा जो तेरे हक का है, कर्म की तरबियत में जरा ईमान रख, मिलता सबको अपने नसीबों का है। प्रतियोगिता का तीसरा दिन (14.04.2021) शीर्षक-: रहमत *****शायरियाँ**** 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 आज जो भी मिला वो सब तेरी रजा है, रहमत बरसा अगर कोई अहम वजह है, ए खुदा तू नेकी के साथ ही नेक करता है, सजदा बारम्बार तेरे दर पर ही असली मजा है।