तुम्हारी यादों के डर से अल्फाज़ मटरगश्ती पे हैं, अब हाल हमारा क्या हो, ख्याल मटरगश्ती पे हैं। वो लम्हे,वो पल गुज़र गये,हस्ती बस मिटने को है, अब क्या जाने हम या वो किस किस कश्ती पे हैं। कारवाँ बदल गये,मज़िलें बदल गईं,हम दोनो ही के, अब क्या सोचे अन्जान होकर हम किस हस्ती पे हैं। यादें ही हैं बस तुम्हारी आखिर और क्या ही सोचें, अब तुम खुश अपनी बस्ती में,हम अपनी बस्ती पे हैं। Thanks Raj Soni Ji for remembering me #हस्ती #कश्ती #बस्ती #कारवाँ #मटरगश्ती #yqdidi